Sunday, 2 January 2022

सजल

सजल


अंतस में स्नेह-दीप बालें नए साल में ।

खुशियों भरे गीत गा लें नए साल में ।।


अंतिम प्रहर है गहरी रातें मुश्किलों की ।

स्वर्ण किरण रवि मुख पर डालें नए साल में ।।


धरती के कण-कण में छुपी हुई खुशहाली ।

सच्ची खुशी संतोष पा लें नए साल में ।।


दुख पीड़ा की गठरी को शीश नहीं बाँधें ।

इत्र सुधियों की महका लें नए साल में ।।


नागफनी के बीज न बोना मन-मधुवन में ।

सद्भावों के फूल खिला लें नए साल में ।।


भूलें सारी कड़वी बातें द्वेष-दंभ तज दें ।

 हृदय को गंगा जल बना लें नए साल में ।।


डॉ. दीक्षा चौबे