Wednesday, 7 June 2023

कुण्डलिया

चित्र आधारित सृजन
तिथि - 27/07/2020
विधा - कुण्डलिया

बैठी है नव यौवना  , बीच नदी की धार  ।
लिए कलश जल साथ में    , खूब किया शृंगार ।
खूब किया शृंगार , केश में गजरा सोहे ।
 ग्रीवा कुंदन हार  , नैन का कजरा मोहे ।
 करे पिया का ध्यान , मानिनी लगती रूठी ।
नहीं समय का भान , नदी में वामा बैठी ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़

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