Saturday, 10 October 2020

दोहे

चार दिनों की जिंदगी , मत कर तू अभिमान ।
महल काम आए  नहीं , छोड़ चला इंसान ।।

जाना है सबको यहाँ , अहंकार को त्याग ।
बहुत दिनों सोया रहा , बीती उम्र अब जाग ।।

अहंकार ने ले लिया  , सही - गलत का ज्ञान ।
समझे  छोटा वह सदा  , खुद को व्यापक मान ।।
डॉ. दीक्षा चौबे

No comments:

Post a Comment