दुनिया मे आकर भी न आ पाती
जीने से पहले ही मरने की सजा पाती
माँ की कोख मेे सिकुड़ती ,सकुचाती
बेटी काश ,तुम जन्म ले पाती ।।
आशाये पालती ,सपने संजोती
स्नेह लुटाती ,घर बसाती
अपना सब कुछ देकर ,
किसी के दिल का अरमान बन जाती।
बेटी काश ,तुम जन्म ले पाती ।।
काँटे चुनती ,फूल बिछाती
सबकी राहे सुगम बनाती
अपना खून पसीना बहाकर ,
इस उपवन का सौरभ बन जाती ।
बेटी काश ,तुम जन्म ले पाती ।।
शिक्षा पाती, सूझ बढाती ,
सपनों को साकार कर पाती
सफलता की ऊँची उड़ान भर,
माता पिता का गौरव बन जाती ।
बेटी काश ,तुम जन्म ले पाती ।।
हौसला देती ,प्रेरणा बनती
सृजन करती ,पोषिका बनती
अपनी मेहनत से धरा को
पुष्पित, पल्लवित कर जाती ।
बेटी काश तुम जन्म ले पाती ।।
मुस्कुराती,खिलखिलाती
खुशियों का गागर छलकाती
अपने सुन्दर कर्मो से ,
इस जहां को पावन कर जाती ।
बेटी काश ,तुम जन्म ले पाती ।।
बेटी काश ,तुम जन्म ले पाती ।।
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Saturday, 2 July 2016
पीड़ा
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