Wednesday, 23 November 2016

सयानी बेटी

बेटी मेरी सयानी हो गई ...
दूध की धुली, चुलबुली सी
मिश्री की डली,महकी कली सी ,
वो  प्यारी ,नन्ही सी बच्ची 
बातों में सबकी नानी हो गई ।
कभी मुस्कुराती,कभी मुँह फुलाती
भाई से अपने को श्रेष्ठ बताती ,
गुड़िया,खिलौने,पकड़ा -पकड़ी ,
बचपन की बातें कहानी हो गई  ।
घर को सहेजती,सवारती
मुझे दुनिया की बाते समझाती
सही-गलत का हिसाब लगाती ,
उसकी  जवा होती नजरों में ,
अब मेरी कई बातें बचकानी हो गई ।
कहती है माँ -पापा के संग रहूँगी ,
जीवन भर उनकी सेवा करुँगी ,
बेटे होते है कुल का गौरव ,
बेटियां होती हैं पराई ,
ये सब बातें अब पुरानी हो गई ।।
बेटी मेरी अब सयानी हो गई ।
जाड़े की धूप सुहानी हो गई ।।

स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़ 😄

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