ए छत्तीसगढ़ के माटी ए....।
पावन, मनभावन तोर अंगना ,
चित्रकूट,तीरथगढ़ तोर गहना ।
धन-धान्य भरे तोर कोरा म,
कोयला,लोहा के का कहना ।
ए जीवन-मरन के साथी ए ।
ए छत्तीसगढ़ के माटी ए...।।
तोर पुरवइया चन्दन के खुशबू,
पानी तोर गंगाजल हे।
पबरित होगेन सब मइनखे ,
शिवनाथ,महानदी छलाछल हे।
एमन हमर जोत के बाती ए।।
ए छत्तीसगढ़ के माटी ए....।।
सोनाखान के वीरनारायण,
इही माटी मा जनमिस ।
गेंदसिंह,हनुमान वीर ह,
बिद्रोह के बिगुल बजाइस ।
अंग रेज के फाटिस छाती रे ।।
ए छत्तीसगढ़ के माटी ए...।।
नशामुक्ति अउ सत के पंथ ला,
बाबा घासीदास देखाइस।
छुआछूत अउ भेदभाव ल,
सुंदरलाल मिटाइस।
इही मन हमर थाती ए ।।
ए छत्तीसगढ़ के माटी ए....।।
डोंगरगढ़ म बिराजे बम्लेश्वरी मैया,
रतनपुर म महामाया हे ।
दंतेवाड़ा म दंतेश्वरी माता,
झलमला के गंगा मैया हे।
दामाखेड़ा कबीर के साखी ए ।।
ए छत्तीसगढ़ के माटी ए....।
*****
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Wednesday, 18 January 2017
छत्तीसगढ़ के माटी
Monday, 2 January 2017
नव पल्लव
शाखों पर फूटे नव पल्लव ,
कलियों से खिले किसलय ,
आसमान में उड़ते परिंदे ,
कतारों में लग कर रहे सजदे ,
भवरों ने लो छेड़ा तान ,
कोयल की कूक ले लेती जान ,
सबके बदले अंदाज हैं ,
परिवर्तन के ये राज हैं ,
कही भीगी लकड़ी ,कही जलता अलाव है
इनका करें स्वागत यही बदलाव है ,
स्वीकार करें जो अपने हिस्से आया ,
सच है वो जो हमने पाया ,,
ख़ुशी अंतर्मन में पैठी है ,
क्या हुआ जो थोड़ी रुठी है ,
हर हाल में इसे मनाना है ,
विपरीत परिस्थिति में भी ढूढ़ लाना है ।।
नव वर्ष की शुभकामनाएं
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