आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Saturday, 15 April 2017
उमंग
कूक उठी कोयल ,बागों में छाई तरुणाई ।
फूलों की मुस्कान देख,भौरों में मदहोशी छाई।।
झंकृत हो उठे हृदवीना के तार,शोख नजरों ने बात चलाई।
चंचल मन आखिर बोल उठा, आप आये तो बहार आई।।
Written by-Dr. Diksha Chaube
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