आज समीर हॉस्पिटल में एडमिट हैं , कल उनके दांये कान का ऑपरेशन होना है । घर में उनका कुछ जरूरी सामान पैक कर मैं स्कूल चली गई थी , शुभी ने उन्हें अस्पताल छोड़ दिया था । स्कूल से लौटते वक्त मैं हॉस्पिटल आई वे सो रहे थे ...बिना कुछ आहट किये मैं चुपचाप बैठ गई उन्हें देखते । थोड़ी देर बाद उठे तो ,उनके चेहरे पर नर्वसनेस साफ दिख रही थी । वे जानते थे यह एक माइनर ऑपरेशन है , फिर भी ऑपरेशन के नाम से डर तो लगता ही है। वे जब भी नर्वस होते हैं , अपनी दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ने लगते हैं । मुझे उनका ऐसा करना पता नहीं क्यों , अच्छा लगता है ।
शादी की शुरूआत के दिन याद आ जाते हैं । पहले शर्म
के कारण उनके चेहरे पर नजर तो नही उठती थी , पर
हाथों की उंगलियों को एक - दूसरे के अंदर क्रिष - क्रॉस
करते जरूर देख लेती थी । बीस वर्ष हो गए हैं हमारी
शादी को ...कभी - कभी क्या अक्सर मुझे ऐसा लगता
है कि वह मेरे लिये ही बने हैं । मेरे अंदर जो कमियाँ हैं ,
वो उन बातों के उस्ताद हैं । मैं बहुत जल्दी परेशान हो
जाती हूँ , पर वे बहुत ही धैर्यवान हैं । कभी - कभी
बोलते भी हैं , मेरे दो नहीं तीन बच्चे हैं । तू भी कभी -
कभी बच्चे की तरह हरकतें करती है ...मैं उनके अधिकांश निष्कर्षों को बिना किसी बहस के स्वीकार कर लेती हूँ क्योंकि मुझे वे मुझसे बेहतर जानते हैं , ऐसा मुझे लगता है । जीवन के हर पल को मैंने इतनी
खूबसूरती से जिया है , इसकी वजह समीर ही हैं । उनके विचारों , सोच का ही असर है कि मेरा जीवन
के प्रति नजरिया ही बदल गया है । मेरी महत्वाकांक्षा
पर सन्तुष्टि हावी हो गया है । हमारी महत्वाकांक्षा यदि
हमें आगे ले जाती है तो बहुत कुछ छीन भी लेती है ,
इसलिये इसके पीछे भागते हुए अपना हानि - लाभ भी
देखते रहना चाहिए । कहीं हम अपनी मंजिल को पाने
के लिये अपनी सुख - शांति खो रहे हैं तो ऐसी सफलता
किस काम की । हम जिस स्थिति में जी रहे हैं , अगर
उससे सन्तुष्ट हैं तो हमेशा सुखी रहेंगे । जो है , जैसा है
उसमें खुश रहो , जीवन के हर पल के मजे लो । दिखावे
के पीछे मत भागो । व्यक्ति को यदि सफलता और खुशी दोनों मिल जाये तो उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता । पर जीवन की सम्पूर्णता मिल जाये तो सफलता की आवश्यकता नहीं रह जाती । सम्पूर्णता के बिना सफलता अधूरी है ...पर सफलता मिल जाये और जीवन सम्पूर्ण न लगे तो ऐसी सफलता किस काम की ।
कई लोगों को मैंने सफलता का अंदाज सुख - सुविधाओं ,सम्पत्ति और जीवन में कुछ बड़ा बन जाना ,बड़े ..शक्तिशाली पद पर आसीन होने से लगाते देखा है..शायद बहुत लोग ऐसा मानते हैं..अरे ! उसने तो बहुत तरक्की कर ली...बड़े - बड़े बंगले हैं उसके ; पर
हकीकत कुछ और हो सकती है। बड़े बंगले वाला यह सब पाकर सन्तुष्ट अनुभव कर रहा हो , कोई जरूरी नहीं। हो सकता है , व्यावसायिक मजबूरियों के कारण
वह कई खुशियों से वंचित हो , परिवार के लिये वह समय न दे पाता हो .. या अन्य कोई असुविधा हो ..।
" सब कुछ होते हुए भी कुछ न पाना और कुछ न होते हुए भी सब कुछ पा लेना " - जीवन ऐसा भी हो सकता है । आप अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए ...
परिवार को समय देते हुए ...जीने की सुविधाओं को बढ़ा रहे हैं... जीवन के हर पहलू का आनन्द उठा रहे हैं ,
खुशियाँ बाँट रहे हैं और इन पलों को अपने जीवन की डायरी में संजो रहे हैं तो सच में आप खुशकिस्मत इंसान हैं ।जिंदगी की आवश्यकताएं हमें व्यस्त बनाये रखती हैं
उन्हें पूरा करते - करते कब जाने का समय आ जाता है,
पता ही नहीं चलता । कई बातों को हम भविष्य के लिए
टालते रहते हैं कि यह काम हम बाद में करेंगे...बस इसके बाद.. इसके बाद ...जो कभी नहीं आ पाता । न
जाने कितनी ख्वाहिशें मन में दबाए जीते रहते हैं हम..
सिर्फ शुरुआत करने की देर रहती है , बाद में महसूस
होता है कि क्यों इस काम को करने में देर कर दी । काश ! पहले ही कुछ प्रयास कर लिया होता । न जाने
कितनी प्रतिभाएं इस सही शुरुआत न हो पाने के कारण
दम तोड़ देती हैं । अपने - आपको , अपनी क्षमताओं को सही समय में पहचान लेना सफलता की प्रथम सीढ़ी है ।
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Tuesday, 18 July 2017
सफलता और सम्पूर्णता
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