Saturday, 11 August 2018

कारे - कारे बदरा

कारे - कारे बदरा...
यूँ न तरसा ...
तक रहे हैं नैना ,
अब के बरस जा...
पिया गये विदेशवा ,
उन्हें लौटा ला...
सूना मेरा आँगन ,
खुशियाँ भर जा...
तक रहे हैं नैना ,
अब के बरस जा...
सूखी है नदियाँ ,
सूखी है धरा...
तड़प रहे हैं  पंछी ,
सुध ले जरा...
तक रहे हैं नैना ,
अब तो बरस जा..
पीर मेरी जिया की ,
पी तक पहुँचा...
संग - संग लाना ,
प्रीत उनका...
तक रहे हैं नैना ,
अब तो बरस जा...
कारे - कारे बदरा ,
यूँ न तरसा....
तक रहे हैं नैना ,
अब तो बरस जा...।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग  , छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment