Sunday, 10 September 2017

जीवन की राहें

जीवन की राहे ,
अकथ , अकल्पनीय ,
मिले कई साथी ...रहबर,
कोई साथ ..कोई विरुद्ध ,
पथ ...कभी सरल ,कभी रुद्ध ,
गिराने वाले भी , उठाने वाले भी ,
दुख देकर मुस्कुराने वाले भी ,
कमियाँ ढूंढ कर नीचा दिखाते,
कुछ पीठ थपथपाने वाले भी ,
दोस्त मिले , दुश्मन भी ,
काँटे मिले  तो सुमन भी ,
किसी ने राहों में रोड़े अटकाये ,
किसी ने  कदम से कदम मिलाये ,
ठोकर जो लगी तो सहारा दिया ,
डूबती उम्मीदों को बढ़कर थाम लिया ,
कुछ गुमनाम प्रशंसक ,
कुछ बदनाम आलोचक..,
सबने अपने हाथ बंटाए ,
कोई हुए अपने , कोई पराये ,
राही को तो चलते रहना है ,
अंधेरों में न भटकना है ,
साथ देने परवाने आये ,न आये
शमा को तो जलते रहना है ।
रात को  ढलना है ,
सूरज को निशदिन निकलना है।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़ 🌞🌞

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