Saturday, 22 September 2018

भुला न देना

 कमजोर हो जाये जब मेरी काया ,
जब ये बूढ़े  हाथ - पैर काँपने लगे  ...
इन्हीं हाथों ने दिया था तुम्हें सहारा ,
उँगली पकड़कर चलना सिखाया...
डगमगाते वो कदम तुम भुला न देना ।
मेरी सदाएं याद कर मुस्कुरा देना ।।
सुन न पाउँ तुम्हारा कहा ,
सुनाने लगूँ अपना वही दुखड़ा...
मेरे भुलक्कड़पन पर न खीझना ,
एक ही कहानी तूने कई बार सुना ,
बचपन की  वो आदत भुला न देना ।
मेरा धैर्य याद कर मुस्कुरा देना ।।
बुरा गर लगे मेरा खाँसना ,
पड़े  प्यारी  नींदों को त्यागना ,
तुझे दुलराते थपकाते काटी कई रातें ,
लोरियों को मेरे तुम भुला न देना ।
मेरा स्नेह याद कर मुस्कुरा देना ।।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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