भादो मास के तीसर तिथि म मनाये जाथे हरितालिका तीज , जेमा अपन सुहाग ल अमर बनाये बर सुहागिन मन निर्जला उपास राखथे । हमर छत्तीसगढ़ म एला बड़ धूमधाम ले मनाये जाथे..ए हा मइके के मान के तिहार आय । भाई मन अपन शादीसुदा बहिनी मन ल ससुराल ले लेवा के लेगथे , ऊंखर बर नवा लुगरा बिसाथे अउ सुघ्घर खवाथे पियाथे । तीजा के पहिली दिन दूज के करू भात खाये बर घरो घर नेवता परथे ।कका बड़ा सब्बो बलाथे , सब्बो बहिनी मन जुरथे , एक दूसरे के दुख सुख गोठियाथे अउ अब्बड़ सुख पाथें ।अपन मइके के अंगना के मोह कभू नई छुटय , जिंदगी के अतेक साल जिहा बिताये ओला कइसे भुला जाहि..अब्बड़ असन सुरता , मया अउ दुलार के धागा म बंधाय रहिथे नारी के मन ह मइके संग...ओ धागा ल मजबूत करथे ए तिहार ह । तीजा के दिन निराहार रइके
ओहर अपन सुहाग के उम्मर के संग संग अपन परिवार के कल्यान बर तको संकर भगवान तीर प्रार्थना करथे । एखरे बर रेत के शिवलिंग बना के फूल के फुलहरा सजाथे अउ रात भर भजन कीर्तन करके भगबान के पूजा करथे बिहनिया ओ ला तरिया नदिया म सरोये जाथे ,तहां नवा लुगरा पहिन के उपास ला टोरथे । चौथ के दिन तको सब्बो नाते रिश्तेदार मन खाये बर बुलाथे अउ साड़ी , चूड़ी बिंदी नईते पईसा भेंट करथे । मइके के अब्बड़ कन दुलार मया बटोर के तीजहारिन लहूटथे
अउ राजी खुसी अपन परिवार के जिम्मेदारी निभाथे ।
ओखर अंचरा हर मइके ससुराल के असीस के फूल ले महकत रहय अउ मन ह खुसी म गमकत रहय , संकर भगवान अपन किरपा बनाय रखय ।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Sunday, 9 September 2018
तीजहारिन तीजा जाबे , मइके के दुलार पाबे
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