अपनों का जब संग हो , सफल सभी उद्योग ।।
लोगों के सहयोग से , बनते हैं सब काम ।
बाँधा पुल नल - नील ने , पार हुए श्री राम ।।
नारी है घर की धुरी , देती शुभ संस्कार ।
स्त्री - पुरूष सहयोग से , चलता घर - संसार ।।
अखंडता में देश की , दें अपना सहयोग ।
सर्व धर्म समभाव से ,गले मिलें सब लोग ।।
जीव - प्रकृति सहयोग से , सुखी रहे संसार ।
सुंदर तन खुशहाल मन , जग को यह उपहार ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़
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