चतुक्षरावृत्ति 1221
1 जपूँ नाम । सुबह शाम ।।
नहीं काम । बिना राम ।।
2. सही राह । मिले चाह ।।
सहे आह । हुआ वाह ।।
3. प्राण बोध । नहीं क्रोध ।।
करें रोध । नहीं शोध ।।
4. हुई भूल । हृदय शूल ।।
कटी रात । बनी बात ।।
5. बजे गीत । यही रीत ।।
हुई प्रीत । बने मीत ।।
6. बड़े लोग । बढ़े रोग ।।
निकल प्राण । मिले त्राण ।।
7. बढ़ी शान । घटी आन ।
छली लोग । बड़े रोग ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़
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