व्यक्तित्व के आईने में ,
बेदाग तस्वीर होनी चाहिए ।
इच्छाशक्ति दृढ़ करे ,
ऐसी तदबीर होनी चाहिए ।
भाव चेहरे पर जो भी हों ,
दिल में पीर होनी चाहिए ।
लबों पे बोल मीठे हों और ,
आँखों में नीर होनी चाहिए ।
आचरण में खुलापन हो पर ,
मर्यादा की जंजीर होनी चाहिए ।
दिलों में जगह बना लें ,
ऐसी तकरीर होनी चाहिए ।
कोई भी न रहे वंचित सुख से,
खुशियाँ सबकी जागीर होनी चाहिए ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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