काव्यमाला 17
विषय - धन तेरस (फटीचर जेब )
हे धन्वन्तरि...
शुभागमन आपका
पावन दिवस , पावन बेला
शरद मनभावन , मन डोला ।
चहुँ ओर रौनक छाई
खुशियों की बेला आई ।
रंगोली से सजे घर - आँगन
तरंगित आबाल वृद्ध यौवन ।
जगमग दीपों की कतारें
श्रद्धा , स्नेह की पुकारें ।
वैभव सुख की दरकार
समृद्धि आये घर द्वार ।
किसी के पास सब कुछ
किसी की जेब खाली ।
हे ईश्वर ! कर दे ऐसा चमत्कार
किसी की फीकी न हो दिवाली ।
सम्पन्न हों या फटीचर जेब
सबको खुशियाँ भेज ।
सब तेरी ही सन्तान
दे सबको यश , मान सम्मान ।
भूखे पेट न सोये कोई
पाये जीवन का सुख हर कोई ।
है यही प्रार्थना तुझसे
सबके घर धन, सुख बरसे ।।
आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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