चाहे कितनी भी कठिन हो ,
जीवन की राहें....
रुकना नहीं है मुझे ,
आये कितनी बाधाएँ ...
संघर्षों में पली - बढ़ी ,
दिल में कई आहें....
अकेलेपन से डरूँगी नहीं ,
मजबूत मेरे इरादे...
दर्द ने कई बार सताया मुझे ,
आँखों से अश्क बहे....
नकारा गया अस्तित्व मेरा ,
साबित किया खुद को मैंने..
चढ़ती रही एक - एक सीढ़ी ,
कई बार बनी विजेता मैं...
चाहिये मुझे वृहद आकाश ,
तैयार हूँ मैं उड़ने के लिए....
हिम्मत है ताकत मेरी ,
हारना नहीं है मुझे...
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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