Sunday, 3 February 2019

# धुल नहीं जायेंगे पाप गंगा - स्नान से #

भारत की संस्कृति पावन  ,सरस , सुहानी ,
कई महावीरों की यह धरा सुनाती कहानी ।
राजपाठ , धन त्याग दिए  ईमान की खातिर ,
मोरजध्वज , हरिश्चन्द्र हैं जन -जन की जुबानी ।
माता - पिता को कांवड़ में  तीर्थाटन कराया ,
श्रवण ने  इस सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया  ।
शांति , अहिंसा , जीवदया का विश्व को संदेश दिया ,
बुद्ध ने यहीं से  विश्वशांति का उपदेश दिया ।
बच्चे की जान बचाने माँ प्रस्तुत हो शेर के आगे ,
उसकी ममता को देखकर पत्थर में प्रेम जागे ।
कबूतर को बचाने राजा शिवि अपना माँस दे देते ,
देवों की सहाय के लिए दधीचि अस्थिदान कर देते ।
शिवा ,प्रताप राष्ट्र की खातिर अपनी जान गंवाये  ,
देश की आन की खातिर वीरों ने गोली खाये ।
ऐसे देश में जन्म लेकर  अनमोल तन यह पाया ,
माता - पिता व राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाया ।
यदि नहीं तो धुल नहीं जायेंगे पाप गंगा स्नान से ,
अपने कर्तव्य निभाओ ,आदर करो इनका सम्मान से ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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