भारत की संस्कृति पावन ,सरस , सुहानी ,
कई महावीरों की यह धरा सुनाती कहानी ।
राजपाठ , धन त्याग दिए ईमान की खातिर ,
मोरजध्वज , हरिश्चन्द्र हैं जन -जन की जुबानी ।
माता - पिता को कांवड़ में तीर्थाटन कराया ,
श्रवण ने इस सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया ।
शांति , अहिंसा , जीवदया का विश्व को संदेश दिया ,
बुद्ध ने यहीं से विश्वशांति का उपदेश दिया ।
बच्चे की जान बचाने माँ प्रस्तुत हो शेर के आगे ,
उसकी ममता को देखकर पत्थर में प्रेम जागे ।
कबूतर को बचाने राजा शिवि अपना माँस दे देते ,
देवों की सहाय के लिए दधीचि अस्थिदान कर देते ।
शिवा ,प्रताप राष्ट्र की खातिर अपनी जान गंवाये ,
देश की आन की खातिर वीरों ने गोली खाये ।
ऐसे देश में जन्म लेकर अनमोल तन यह पाया ,
माता - पिता व राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाया ।
यदि नहीं तो धुल नहीं जायेंगे पाप गंगा स्नान से ,
अपने कर्तव्य निभाओ ,आदर करो इनका सम्मान से ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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