कल सड़क पर औंधे मुँह गिरे एक व्यक्ति को देखा ... उसे लोग बिना नोटिस किये ही आ - जा रहे थे । ठीक भी है मनमाने शराब पीकर चलेंगे तो यह दुर्दशा तो होगी
ही , लेकिन यदि कोई बीमार व्यक्ति या हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति भी ऐसे गिरा पड़ा रहेगा तो उस पर भी कोई इसी धोखे से ध्यान न दे तो उसे समय पर चिकित्सा नहीं मिल पाएगी ।
अनायास ही सुदर्शन की कहानी " हार कि जीत " याद आ गई । जिन्होंने नहीं पढ़ी होगी उन्हें मैं इसका सारांश बता देती हूँ । इस कहानी में बाबा भारती एक परोपकारी सन्त रहते हैं , उनके पास एक शानदार घोड़ा
था जिसे वे अपने बेटे की तरह प्यार करते थे । वहाँ एक प्रसिद्ध डाकू था खड़गसिंह , जिसे वह घोडा पसन्द
आ गया और उसने बाबा भारती को चुनौती दी कि वह
अपने घोड़े की जितनी सुरक्षा करना चाहें कर लें ...वह उसे चुरा कर ले जायेगा । बाबा की नींद हराम हो गई ..
सोते- जागते वह घोड़े को अपने साथ रखने लगे । एक
बार वह घोड़े पर बैठकर कहीं जा रहे थे तो रास्ते में एक
बीमार व्यक्ति बैठा मिला ।उसने बड़े ही कातर स्वर में
बाबा भारती से मदद की गुहार लगाई तो उन्होंने उसे
घोड़े पर बिठाना चाहा... बैठते ही वह असली रूप में आ गया , वह डाकू खड़गसिंह था और उसके घोड़े को
लेकर जाने लगा ...। उसे जाते देखकर बाबा भारती ने
इतना ही कहा -तुम्हें घोड़ा ले जाना है तो ले जाओ लेकिन कभी किसी से इस बात का जिक्र मत करना ,
वरना लोग लाचारों की मदद नहीं करेंगे । यह सुनकर
डाकू का हृदय परिवर्तन हो गया और उसने दूसरे दिन
चुपचाप घोड़ा बाबा के अस्तबल में लाकर बाँध दिया ।
क्या बाबा भारती की आशंका सच साबित नहीं हो रही है ? इतने फ़र्जी मदद माँगने वाले आते हैं कि
कौन सच्चा है कौन झूठा , भेद करना मुश्किल हो जाता
है । एक - दो बार बेवकूफ भी बन गए और गलत जगहों पर खर्च कर दिये , लेकिन इसका प्रभाव उस पर
भी पड़ जाता है जो सच में जरूरतमंद होते हैं ...उन्हें
सही वक्त पर मदद नहीं मिल पाती है । आपकी छोटी सी मदद किसी को अंधेरों से बाहर निकाल सकती है , दूसरों की मदद करें मगर सम्भल कर ।
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Thursday, 10 August 2017
* मदद करें ,मगर सम्भल कर *
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