Tuesday, 4 December 2018

वो माँ है ( लघुकथा )

ट्यूशन क्लास में पहुँचकर अमित  बड़बड़ा रहा था.. अरे क्या हुआ ! नवीन ने पूछा । सिविल लाइंस के पास एक  आंटी अक्सर मुझे रोक कर मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी नहीं चलाने के लिए भाषण देती है ,... हाँ हाँ हमें भी उन्होंने टोका था  उसकी बात सुनकर अजय , राकेश और सुमित भी वहाँ आ गए थे । आजकल लोगों  पर न ...समाजसेवा का भूत सवार हो गया है.. अमित ने कहा । उन सबकी बातें सुनता अखिल बोल पड़ा... तुम लोग  ऐसा कैसे बोल सकते हो  , वो माँ है यार ..दो वर्ष पहले लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण उनके इकलौते बेटे की सड़क - दुर्घटना में  मौत हो गई थी... बस ,अब वह यही कोशिश करती है कि किसी और बेटे की जान न जाये ...। अमित और उसके दोस्तों की आँखें नम हो आई थी... उन्हें अपने ही  कहे गए शब्द चुभ रहे थे ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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