वर्षांत या नए वर्ष का आगाज़.. विदाई और मिलन रूपी जीवन के दो पहलुओं की सटीक व्याख्या करता है । अंत होने पर ही आरम्भ होता है , कुछ नया पाने के लिए पुरातन का मोह छोड़ना पड़ता है ...बस यही हम नहीं कर पाते । हम बहुत कुछ पुरानी चीजें भी पकड़े रहना चाहते हैं..और नया पाने को लालायित रहते हैं । क्या मुट्ठी बाँधे हुए कुछ और पकड़ा जा सकता है.. नहीं ! उसके लिए मुठ्ठी तो खोलनी ही पड़ेगी । बीज को धरती में दबाने पर उसका अस्तित्व खत्म होता है तभी एक नये पौधे का जन्म होता है , यदि बीज अपने अस्तित्व मिटने के डर से मिट्टी में मिलने से इन्कार करे तो क्या उसका एक नया खूबसूरत परिवर्तन देखने को मिलेगा ? तो नये परिवर्तनों का स्वागत कीजिये यदि उसके लिए कुछ पुराना दांव पर लगाना पड़े फिर भी । वक्त की धरा में नई उम्मीदों , आशाओं के बीज रोपिये...अपने स्नेह, कर्म व परिश्रम का सिंचन कीजिये और सफलता , खुशी , सन्तोषरूपी फल का आस्वादन कीजिए । सिर्फ यही नहीं जीवन का प्रत्येक वर्ष आपके लिए मुबारक हो इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आपकी अपनी दीक्षा ।
31 / 12 / 2018
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Sunday, 30 December 2018
नया वर्ष
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