Saturday, 29 December 2018

आजा घरे म हमार

पुन्नी कस उजियार ,
तोर रूप ओ रानी...
आजा घरे  म हमार ,
संवर  जाय  जिनगानी...
नागिन सही चुन्दी तोर ,
बादर ला लजावत हे...
तोर आँखि के दाहरा म ,
मन मछरी फड़फड़ावत हे..
अपन रूप के दरस कराके ,
एला पिया दे पानी...
आजा घरे मा हमार ,
सुधर जाय जिनगानी ।।
मुड़ म पानी बोह के तेहा ,
कनिहा ल मटकाथस वो...
सुध बुध ल गंवा देथस मोला ,
रद्दा ले भटकाथस वो...
थाम ले मोर बांहा ला ,
संगे चलबो दुनों परानी...।
आजा घरे मा हमार ,
सुधर जाय जिनगानी ।।
मनमोहिनी तोर रूप ह ,
आँखि म मोर बस गे हे...
मोर  करेजा के हिरना ल ,
नैन बान तोर लग गे हे...
तोर पिरीत के अंचरा म ,
बांध के ले जा मोर जवानी..।
आजा घरे मा हमार ,
संवर जाय जिनगानी ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़



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