Sunday, 30 December 2018

Unexpected friends ( संस्मरण )

#Unexpected friends #
दोस्ती का अर्थ ही है बिना किसी अपेक्षा के साथ निभाना... जहाँ अपेक्षा है , कुछ पाने की चाहत है वहाँ दोस्ती हो ही नहीं सकती । लेन - देन तो व्यापार में होता है , दोस्ती में हिसाब नहीं रखा जाता कि सामने वाले ने मेरे लिए कितना किया...। सच पूछें तो मुझे दोस्त बनाने में कभी यकीन नहीं  रहा क्योंकि कई लोगों को देखा जो अपने मतलब के लिए दोस्त बनाते हैं इसलिए मैं कभी किसी से उतना लगाव नहीं रखती थी । स्कूल में मेरे सबसे मधुर सम्बन्ध रहे पर पक्की दोस्ती वाली बात कहीं नहीं रही । जब पी. जी. करने रायपुर गई तो मेरे कमरे के बगल में कोरबा की रेखा रहने आई । एक ही विषय , एक कक्षा तो साथ - साथ आने - जाने , खाने लगे । वह मेरा बहुत खयाल रखती , मेरे बारे में हमेशा अच्छा ही सोचती , मेरी सुविधाओं के बारे में सोचकर ही हर काम करती पर मेरे मन में पहले से ही धारणा थी कि अधिक लगाव रखने से स्वयं को ही तकलीफ होती है तो मैं उसे ज्यादा भाव नहीं देती थी और मेरे अपने सभी क्लासमेट्स से अच्छे सम्बन्ध थे तो मैं उसके लिए कोई विशेष महत्व नहीं दिखाती थी । पर उसे मुझसे विशेष लगाव बना रहा और उसने अपना  स्वभाव नहीं बदला..पढ़ाई पूरी होने के बाद जाते हुए उसने मुझे जो कहा , उसने मेरी धारणा बदल दी । पता नहीं तू मुझे याद करेगी कि नहीं लेकिन मैं तुझे बहुत मिस करूँगी । जिसे दूसरों का बहुत प्यार मिलता है उसे उसकी कद्र नहीं होती , तुझे हर किसी से बहुत प्यार मिलता है इसलिए तू बहुत लापरवाह रहती है। जिनके पास अच्छे दोस्त नहीं होते उनसे पूछना , एक अच्छा दोस्त खोना कितना दुख देता है । उसकी बातों ने मेरी आँखों में आँसू ला दिये.. सच में उसके जीवन में बहुत संघर्ष और विपरीत परिस्थितिया आई..चालीस वर्ष की उम्र में उसने अपने पति को खो दिया  और इस दुःख की घड़ी में मैं उसके साथ हूँ ।  मुझे खुशी है कि सही समय में मैंने दोस्ती का अर्थ जान लिया और आज भी  हमारी दोस्ती बरकरार है । अब मेरे बहुत सारे दोस्त हैं ।
स्वरचित ...डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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