Saturday, 5 January 2019

बदलते वक्त के पापा

# बदलते वक्त के पापा  #
माँ नौ माह बच्चे को अपनी कोख में रखकर उसे अपने रक्त से पोषित - पल्लवित करती है.. माँ की तकलीफें , माँ का त्याग सच में सराहनीय है पर जो अपने बच्चे  व माँ की देखरेख , उनके स्वास्थ्य  के लिए चिंतित रहते हैं वो पापा होते हैं । वे कभी नहीं जताते कि वो कितने फिक्रमंद हैं अपने आने वाले बच्चे के जन्म के लिए.. माँ शारीरिक रूप से बच्चे को बड़ा करते रहती है तो पापा माँ की मदद करते मानसिक रूप से जुड़े रहते हैं । पत्नी अब उनके होनेवाले बच्चे की माँ हो जाती है और उसकी देखभाल उनकी प्रथम प्राथमिकता हो जाती है ।
    बच्चे की हलचल , स्पर्श उनके लिए अद्भुत होता है , वो उसे थपकी देकर सुलाते हैं... आधी रात को गहन निद्रा में सोई पत्नी को न जगाकर स्वयं ही बच्चे की डाइपर बदल देते हैं... रातों को जागकर बच्चे को सुलाते हैं ।  वे सभी जिम्मेदारियां  खुशी से निभाते हैं ..अपने बच्चे के भविष्य के लिए सदा चिंतित रहते हैं और उसे वो सब कुछ देना चाहते हैं जो उन्हें नहीं मिल पाया । बदलते वक्त के साथ पिता अधिक जागरूक हुए हैं और अपने बच्चे के सर्वांगीण विकास में माँ के साथ कंधे से कंधा मिला रहे हैं । आज वो हर काम करते हैं जो एक माँ अपने बच्चे के लिए करती है । पिता के दायित्व अब दफ्तर तक सीमित न होकर घर की हर जरूरत में शामिल हो गए हैं । वे अपने बच्चे के लिए एक शिक्षक हैं , गाइड हैं , अच्छे दोस्त हैं । बदलते दौर में जब माँ की जिम्मेदारियां बढ़ी हैं तो पापा भी अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं , उनके कार्यों का दायरा भी विस्तृत हो गया है। वे अपनी पत्नी के सहयोगी व दोस्त हैं , बच्चों के पथ - प्रदर्शक हैं । पारम्परिक ढाँचे से जुदा पिता का एक नया रूप देखने को मिला है और यह समाज व परिवार के लिए एक अनमोल उपहार है ।

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