Friday, 3 November 2017

इंतजार

मन के रजत दर्पण में ,
भावों के प्रतिबिम्ब  बने  ।
प्रेम के  उजाले  के ,
आँखों में दीप सजे ।
दिल की हर धड़कन  में,
इंतजार के सुर सजे ।
होठों की शबनम में ,
प्रीत के बोल चढ़े ।
हाथों की लकीरों में ,
प्रियतम का रूप दिखे ।
गालों का तिल प्यारा,
चुम्बन की बाट तके ।
साँसों की तपिश में ,
विरह की अग्नि जले ।
दर्शन की प्यासी  ,
नैनों से अश्क  बहे ।
आलिंगन को आतुर ,
बाहों  के हार गुँथे ।
अधरों की कम्पन ,
मिलन की आस रखे ।
नुपूर के घुँघरू  में,
पिया तेरा नाम बजे।
कँगना की खनखन से,
मीठा सा एहसास जगे ।
पुरनम हवाओं की छुअन,
कानों  में सरसरा के कहे।
आने वाला है कोई  ,
यामिनी मिलन की बाट जोहे।
  
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़,❤️

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