मन के रजत दर्पण में ,
भावों के प्रतिबिम्ब बने ।
प्रेम के उजाले के ,
आँखों में दीप सजे ।
दिल की हर धड़कन में,
इंतजार के सुर सजे ।
होठों की शबनम में ,
प्रीत के बोल चढ़े ।
हाथों की लकीरों में ,
प्रियतम का रूप दिखे ।
गालों का तिल प्यारा,
चुम्बन की बाट तके ।
साँसों की तपिश में ,
विरह की अग्नि जले ।
दर्शन की प्यासी ,
नैनों से अश्क बहे ।
आलिंगन को आतुर ,
बाहों के हार गुँथे ।
अधरों की कम्पन ,
मिलन की आस रखे ।
नुपूर के घुँघरू में,
पिया तेरा नाम बजे।
कँगना की खनखन से,
मीठा सा एहसास जगे ।
पुरनम हवाओं की छुअन,
कानों में सरसरा के कहे।
आने वाला है कोई ,
यामिनी मिलन की बाट जोहे।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़,❤️
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Friday, 3 November 2017
इंतजार
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