सिमट गया संसार आज ,
खुला असीम आसमान है...
दृढ़ निश्चय , पक्के इरादे ,
हौसलों की उड़ान है...
आभूषणों की चाह नहीं ,
साहस ही मेरा श्रृंगार है...
त्याग और समर्पण युक्त ,
देशभक्तिपूर्ण विचार हैं...
माता - पिता का गौरव हूँ ,
दुश्मनों का काल बनूँ...
शिकार पर झपट पड़े जो ,
वो तेज चाल बाज बनूँ...
आत्मविश्वास से भरपूर हूँ ,
वायुसेना हमारी शान है...
देश हित कुछ कर सकूँ मैं ,
खाकी वर्दी ही मेरी जान है...
जब तक कर्तव्य न पूरे हों ,
तब तक नहीं आराम है...
नमन है धरा तुझे ,
ऐ वतन तुझे सलाम है...।
स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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