Saturday, 14 December 2019

कागज

मन के कोरे कागज पर लिख दिया तेरा नाम पिया ,
कुछ सोचा न समझा बस तुझसे ही प्यार किया ।

मन में तेरी छबि अंकित , सोच में  बस तू ही तू ,
सामने जब तुम आ जाते ,धड़कता मेरा जिया ।

बातें तेरी अच्छी लगती मिलने को तड़पे दिल ,
उड़ गई नींदें रातों की सुकून तूने छीन लिया ।

इंतजार में कटते दिन  करवटों में कटी रातें ,
प्रेम किया मैंने तुमने विरह का उपहार दिया ।

चातक को सुकून मिलता है चाँद को देखकर ,
"दीक्षा" आस के धागे से प्रेम का चूनर सिया ।

स्वरचित -  डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़





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