काम के बात कहत हंव , तेहर कान देके सुन ।
आजकल के जमाना म खुशामद करई हे बड़े गुन ।।
कामधाम ला करे नहि आघु आघु करथें ।
साहब ल जान देथे तहां खर्राटा ल भरथे ।
तेहर बुता करइया ह मुड़ी ला अपन धुन ।।
आजकल...
एती के बात ल ओती करथे अब्बड़ फायदा उठाथे ।
देर सबेर ड्यूटी आथे , आधा जुवार भाग जाथे ।
तें सिधवा हावस त सबके गारी ला सुन ।।
आजकल...
अब्बड़ बुता करथन कइके डींग अब्बड़ मारथे।
चुप्पे चुप बुता करइया अडहा मूरख कहाथे ।
तरी तरी ले खा डारथे एमन ए लकड़ी के घुन ।।
आजकल ...
साहब मन के गोड़ छू छू के जिनगी इंखर तरगे ।
कहां ले कहां पहुंचगे तेहर एकेच जगहा सरबे ।
खुसामद अउ चमचागिरी सीख ले थोरकुन ।।
आजकल के जमाना म खुसामद करई हे बड़े गुन ।।
स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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