प्रकृति ने दिये कई अनमोल उपहार ,
ताकि जीवन का मूल्य समझ सकें हम ।
खूबसूरत हरी - भरी वादियों को देख ,
अनुपम आभा रुचिर बटोर लें हम ।
उषाकाल में पंछियों की कलरव सुन ,
खुशियों को महसूस करना सीख लें हम ।
खिलखिलाते फूलों की क्यारियों से ,
होठों पे मुस्कुराहट संजो लें हम ।
स्वच्छंद , विस्तृत व्योम को निहार के ,
मन के परिंदे को उड़ान दे सकें हम ।
नदियों के कल कल प्रवाह को छूकर ,
जीवन की तरलता को महसूस करें हम ।
भानु की उष्णता को अंगीकार कर ,
व्यक्तित्व की प्रखरता को बढ़ाएं हम ।
अनिल की बहाव के संग - संग चल ,
जीवन के उतार - चढ़ाव को पार करें हम ।
शशि की शीतलता को अंजुरी में भर ,
तन की अतृप्त प्यास दूर करें हम ।
वसुंधरा के गर्भ में छिपे रत्नों की तरह ,
सद्गुणों को आत्मसात कर लें हम ।
ईश्वर प्रदत्त इन अमूल्य उपहारों को ,
भविष्य के लिए सहेजते चले हम ।।
स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़🌲🌲
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