आगे हे मड़ई तिहार
माघी पुन्नी ह आगे ,
दुरिहा होगे मुंधियार ।
सगा मन जम्मो जुरियागे ,
आगे हे मड़ई तिहार ।
किसिम किसिम के खाई खाबो ,
रहिचुली , झूला के मन्जा उडाबो ।
ओनहा पहिरबो आनी बानी ,
बरा सोंहारी सब्बो ल खवाबो ।
नाचा के घलो परे हे गोहार ।।
आगे हे मड़ई तिहार ।।
घरों घर आहि पहुना ,
फूफू , बहिनी , भाटो आहि ,
लीपाय पोताय अंगना ,
दवारि म चउक पुराही ।
करहु सबला जोहार ।।
आगे हे मड़ई तिहार ।।
हमन् हन चिक्कन खवइया ,
जिमीकांदा , इडहर ममहाही ।
ठेठरी खुरमी खाजा पीडिया ,
बबरा अनरसा दाई बनाही ।
लाई बरी पापड़ अउ अचार ।।
आगे हे मड़ई तिहार ।।
स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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