मुख में राम...
उस दिन जब फोन पर मेरी सहेली ने लाउडस्पीकर ऑन किया तो समझ में आया कि जिस सपना को मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड समझती थी , उसे मुझसे न जाने कितनी शिकायतें थी जो वह फोन पर बयान किये जा रही थी..उनमें से बहुत सी बातें तो मनगढ़ंत थी ... अगर मैं अपने कानों से न सुनती तो शायद कभी इस बात पर विश्वास न करती और बताने वाली को ही झूठा समझती ..सच , बहुत ही आहत हुई मैं अपने विश्वास के टूटने पर ..मैं उसे अपनी अच्छी दोस्त मानती थी ..पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया क्योंकि मैंने कभी उसका बुरा नहीं चाहा । ऐसे कुछ लोग जीवन की राह में आपको भी मिलते होंगे जो आपके सामने शुभचिंतक बनते हैं , अच्छी - अच्छी बातें करते हैं ...पर आपके पीठ पीछे आपकी बुराई करते हैं.. मनगढ़ंत बातें बनाते हैं.. आपको बदनाम करने का प्रयास करते हैं.. आपकी छवि को धूमिल करने का प्रयास करते हैं । जब उनका असली चेहरा हमारे सामने आता है तो यह हमें दुखी कर जाता है , हमें पछतावा होता है कि ऐसे लोगों पर हमने विश्वास किया । ऐसे लोगों के लिए ही यह कहावत लिखी गई है.. मुख में राम , बगल में छुरी ..काश ये एक बात सोच लेते कि कभी उनकी कही बात सामने वाले के कानों तक पहुँच गई तो क्या प्रभाव पड़ेगा ? ऐसे लोगों पर किसी को विश्वास नहीं होगा..उनकी छवि भी खराब हो जायेगी । निंदा करने की प्रवृत्ति में कुछ लोगों को ज्यादा ही मजा आता है ..बुराई करके उन्हें शायद अपनी हीन भावनाओं की सन्तुष्टि में सहायता मिलती है । अपने से आगे बढ़ते देख कर भी कई लोग ईर्ष्या वश इस प्रवृत्ति को अपनाते हैं । इससे बेहतर वे अपनी स्थिति सुधारने का प्रयास करते तो कुछ भला होता । समाज के प्रदूषक हैं ऐसे लोग जो ऊपर कुछ और अंदर कुछ होते हैं.. ये नकारात्मक सोच वाले होते हैं तथा नकारात्मकता फैलाते हैं ..बचकर रहें ऐसे लोगों से ।
स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Wednesday, 28 February 2018
मुख में राम ....
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