मदमस्त बयार लेकर आया बसन्त ,
कलियन में , पुहुपन में छाया बसन्त ।
मधुप की गुंजार लेकर आया बसन्त ,
कोकिल की तान सुनाया बसन्त ।
सुमन - सौरभ ने महकाया बसन्त ,
प्रेमी दिलों को बहकाया बसन्त ।
उपवन की शोभा ने भटकाया बसन्त,
बोझिल मन को हरषाया बसन्त ।
आम्र - मञ्जरी सा बौराया बसन्त ,
प्रिय - मिलन को तरसाया बसन्त ।
जंगल में आग लगाया बसन्त ,
कपोलों में गुलाल लगाया बसन्त ।
मस्ती का प्याला छलकाया बसन्त ,
जीवन में खुशियाँ भर लाया बसन्त ।
स्वरचित --- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़☺️
No comments:
Post a Comment