आप मुझसे इस तरह कैसे बात कर सकती हैं.. मै आपके घर की नौकर नहीं हूँ - सुधा सिंह ने उस दिन प्राचार्य को फटकार दिया था । वे थे भी ऐसे , बहुत रूखे स्वभाव के..किसी तानाशाह से कम नहीं था उनका व्यवहार । उस दिन सुधा के तेवर देखकर चुप हो गए थे... उस दिन के बाद जो थोड़े तेज स्वभाव के थे , उनसे कम काम लेने लगे थे । पर जो सीधे , सरल थे उन्हें अधिक परेशान करते ...विशेषकर सीमा को क्योंकि वह वो सारे काम चुपचाप कर देती जो वे बोलते । सीमा कभी किसी काम के लिए मना नहीं कर पाती थी भले ही उसे घर में कितने भी काम होते । अपने इस स्वभाव के कारण वह बहुत परेशान होती थी पर क्या करे उन्हे नाराज करने पर वे और पीछे पड़ जाते और उसके हर काम में कमी ढूँढते.. इस डर के कारण वह कभी विरोध नहीं कर पाती थी । सच ही तो है ईंट की आवश्यकता होने पर लोग कच्ची दीवार ही ढूँढते हैं... पक्की दीवार से ईंट खींचने की हिम्मत किसको होती है ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Saturday, 16 June 2018
कच्ची दीवार ( लघुकथा )
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