Saturday, 16 June 2018

बूमरेंग ( लघुकथा )


अर्णव  को समझ नहीं आ रहा था पत्नी की इन शिकायतों पर वह क्या प्रतिक्रिया दे...ऊपर से कुछ कह नहीं पा रहा था पर अंदर से वह बहुत प्रसन्न था क्योंकि रजनी आज अपना बोया ही काट रही थी ।
       दरअसल रजनी  को अपनी भाभी का दिया हुआ तोहफा पसन्द नहीं आया था  जो उन्होंने अपने बेटे के जन्म  पर नेग के रूप में दिया था । यह वही  मंगलसूत्र था जो उसने अपनी ननद को दिया था और उसने उसे न पहनकर उसके भाई की शादी में भाभी को उपहार दे दिया था । जो चीज उसने  किसी को दिया था वही लेने में उसे आज कितनी तकलीफ हो रही थी...कई बार अपना किया ही बूमरेंग की तरह अपने पास आ जाता है ।
स्वरचित  - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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