Tuesday, 11 June 2019

त्राहिमाम

कुपित मानव क्रियाओं पर ,
प्रचंड सूर्यदेव...
बढ़ाते जा रहे तापमान ,
सूखी प्यासी धरा..
निरभ्र हुआ आसमान ,
तरसे पानी को पंछी ,
जीव- जंतु ,इंसान..
धरती पर पड़ी दरारें ,
भूमिगत जल भी अंतर्धान,
हाहाकार मचा है ,
भीषण गर्मी ने किया परेशान,
पहाड़ों की शरण में ,
वन ही बचाये प्राण..
घुटनों पर बैठा मानव ,
कर रहा त्राहिमाम...
प्रकृति से छेड़छाड़ का,
भुगत रहा अंजाम ।
उपेक्षा की प्रवृत्ति का ,
यह भयानक परिणाम..
सबक न लेता आपदाओं से,
तरक्की की होड़ में ,
किया अपना नुकसान ।
वक्त रहते सचेत हो कर,
कर ले सुरक्षा का इंतजाम ।
प्रकृति का कोई पर्याय नहीं ,
इसके आँचल में ही आराम ।।

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