Monday, 10 June 2019

तेरी मेरी यारी

साथ जिसके रहने से  दूर हो जाती दुश्वारी  ,
जाति ,धर्म के भेद से ऊपर तेरी मेरी यारी ।

क्या तेरा क्या मेरा ,बेझिझक थी साझेदारी ,
तन दो पर मन एक थे ,काहे की हिस्सेदारी ।

दोनों फक्कड़ मदमस्त , दिखावे की न बीमारी ,
जीवन संघर्ष एक था  ,न  सीखी दुनियादारी ।

सुविधा न थी  ,पर फिक्र थी एक दूजे की भारी ,
असफलता व दुःख  में , जाग के काटी रात सारी ।

उम्मीद की किरण बनकर आई दोस्ती हमारी ,
हाथ थामे  एक- दूसरे  का , सफर रहे यह जारी ।

सफल होकर भी दूर न होंगे , है यह जिम्मेदारी ,
राग - द्वेष  , अहंकार से ऊपर तेरी मेरी यारी ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment