अत्यंत वृहद है ख्वाहिशों का आसमान ,
पूरी होते ही एक के, दूजा ले लेता स्थान ।
कोशिशें अनवरत ,पूरी करने की जद्दोजहद ,
ख्वाहिशों की जादू में ,उलझ गया सारा जहान ।
पनपते हैं कई अरमां इन दरख्तों के साये में ,
न हों ये तो मुश्किल में पड़ जाता इंसान ।
पूरी हों गर ख्वाहिशें तो हसीन हो जाते नजारे ,
अधूरी रहने पर खुल न पाती शायर की जुबान ।
बड़ा मुश्किल सफर है ये सम्भलकर चलना ,
चमक ख्वाहिशों की भटका न दे तेरा ईमान ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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