आओ साथ बैठकर ,
पी लें एक कप गरमागरम चाय...
जी लें कुछ मधुर पल ,
कह दें अपने मन की बात..
सुन लें एक - दूजे के ,
दिल की धड़कन....
बाँट लें जीवन के अनुभव ...
रोजमर्रा की जरूरी व
कई गैरजरूरी बातें ,
कुछ अनकहा भी हो..
तो तैरने दें दोनों के बीच
खामोश निगाहों को ,
करने दें गुफ्तगू....
चाय में कूटे इलायची की तरह,
महकता रहे साथ हमारा...
केतली से गिरते चाय की तरह ,
न गिरे वक्त की शाख से...
खूबसूरत लम्हे ,
जिंदगी की ऊब , थकान ,
तनाव को उबाल दें ...
प्यार की मद्धम आंच पर ,
घुलने दें विश्वास की मिठास...
गाढ़ा होने दें सम्बन्धों के रंग ,
पक जाने दें जिंदगी की चाय ।
आओ पी लें एक कप ,
गरमागरम चाय ....
यह सिर्फ चाय नहीं है ,
अवसर है ,
जिंदगी में ताजगी भरने का...
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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