Friday, 28 June 2019

ग़ज़ल

अपने तसव्वुर में तेरी तस्वीर बसाये रखा  ,
यादों को तेरी अपने सीने में दबाये रखा ।

ठहर जाती है शबनम ज्यों कलियों पर ,
अश्कों को नजरों में यूँ छुपाये रखा ।

राह - ए - जिंदगानी को करती रहे रोशन ,
वफाओं से इश्क - ए - शमा जलाये रखा ।

कभी थे मुसाफ़िर हम एक राह के ,
जुदा होकर भी आँखों  में बिठाये रखा ।

बेपर्दा न हो जाये  मोहब्बत अपनी ,
खामोश रहकर आबरू बचाये रखा ।

आँधियों , धूप से सूख न जाये शज़र ,
एहसासों की नमी को बनाये रखा ।

जी ली  इक उम्र महक उठी जिंदगी' दीक्षा ' ,
प्यार  भरे इन लम्हों को सजाये रखा ।

स्वरचित - डॉ.  दीक्षा  चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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