आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Sunday, 26 January 2020
गणतंत्र दिवस
पहचान
गणतंत्र दिवस
Thursday, 23 January 2020
गाथा
Friday, 17 January 2020
ग़ज़ल
Wednesday, 15 January 2020
हाय राम ! मैंने सच क्यों बोला
Wednesday, 8 January 2020
भारत माँ की रक्षा करने
सजल - 8
Tuesday, 7 January 2020
भेड़ें ( लघुकथा )
2. *आँचल* (लघुकथा)
पूरा मोहल्ला उसे बिलखते देख रहा था... राधा के पति एक लंबी बीमारी के बाद चल बसे थे....दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारी उसके सिर पर आ गई थी । न माँ - पिता , न कोई रिश्तेदार.... असहाय महसूस कर रही थी वह अपने - आपको । कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह अब क्या करेगी , कैसे पालेगी बच्चों को... सोलह बरस में शादी हो गई थी , आठवीं पास को काम भी क्या मिलेगा... मजदूरी या कहीं झाड़ू - पोंछा ही करना पड़ेगा । लोगों ने मिलकर उसके पति का क्रियाकर्म कर दिया पर जीवितों का पेट भरने के लिए सब दुःख भूलकर उसे कर्म करना पड़ेगा ।वह निकल पड़ी थी दोनों बच्चों को लेकर ...आसमान में काले मेघ छाये थे...मुसीबतों की तरह बूूँदें भी बरसने लगीं थीं..बच्चों के सिर पर अपनी साड़ी का आँचल तान दिया था उसने....ममता की यह छाँव सभी बारिशों पर भारी थी ।
स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
3 . *नुस्खा* (लघुकथा )
4 . *शिक्षादान* (लघुकथा )