इसमें बसती हमारी जान है ।
कभी न झुकने देंगे इसे हम ,
राष्ट्र ध्वज हमारी पहचान है ।
देश की रक्षा की खातिर ,
दिलो - जान हम लुटा देंगे ।
दुश्मन गर आड़े आया तो,
उसको भी धूल चटा देंगे ।
वीर जवानों की ताकत पर ,
हम सबको अभिमान है ।
विविध वर्ण और धर्म को ,
अपने गले लगाया है ।
सदाशयिनी संस्कृति अपनी ,
स्नेह - निर्झर बहाया है ।
सबके हैं अधिकार बराबर ,
सबको मिला सम्मान है ।
शांति , अहिंसा के पोषक हैं ,
गाते सौहाद्रता के गीत ।
राष्ट्रीयता के ताने - बाने में ,
गुंथी हुई है अपनी प्रीत ।
एक है अपनी भारत माता ,
हम उसकी सन्तान हैं ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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