उससे मिली थी तो काफी देर तक हम बातें करते रहे । हमने फोन नम्बर का आदान - प्रदान किया और फिर नियमित रूप से हमारी बातें होने लगीं । वह अपने ननद से बहुत परेशान थी जो उसी शहर में रहती थी । वह लगभग हर दूसरे - तीसरे दिन मायके पहुँच जाती है और अपनी माँ यानी रमा की सास को भड़काते रहती है । वैसे रमा के साथ उनका व्यवहार ठीक रहता है लेकिन उनकी बेटी न जाने क्या पट्टी पढ़ाती है कि उसके जाने के बाद वह रमा के हर काम में मीनमेख निकालने लगती हैं , बात - बात में ताने मारने लगती हैं कि तुमने ऐसा नहीं किया वैसा नहीं किया । हर काम तुम अपनी मर्जी की ही करती हो ।
जब वह बीमार होती हैं तो उनकी तीमारदारी रमा जी जान से करती हैं ऐसे मौके पर नन्दरानी नदारद हो जाती हैं कि कहीं उनके सिर कोई काम न आ जाये । एक - दो बार ऐसा हुआ तो सबको लगा कि सच में उन्हें कुछ काम आ गया लेकिन कई बार ऐसा होने पर सासु माँ भी उनकी चतुराई भाँप गई । सासु माँ की सेवा करके रमा ने उनका दिल जीत लिया था । अबकी बार जब ननद ने रमा के खिलाफ अपनी माँ को भड़काना शुरू किया तो उन्होंने खुद ही अपनी बेटी को टोक दिया । जैसी भी है वह मेरी बहू है और मेरा बहुत खयाल रखती है । अगर उससे कोई गलती भी होती है तो हम सास - बहू सम्भाल लेंगे बेटा , तुम अपनी भाभी के बारे में कुछ मत बोला करो । अब तुम अपनी ससुराल की चिंता किया करो । जब बहू को घर की जिम्मेदारी सौंपी है तो अधिकार भी तो देना पड़ेगा । ननद अपनी माँ की बात सुनकर चुप रह गई और आगे उसने मायके की बातों में दखल देना भी बंद कर दिया ।
रमा की सास ने अपनी बेटी को टोककर रमा की गृहस्थी सम्भाल ली परन्तु अधिकांश माताओं को अपनी बेटी में कोई कमी नहीं दिखती । उन्हें हमेशा बहू ही गलत लगती है और इस तरह रिश्तों में खटास आने लगती है । बेटियों को शादी के बाद विशेषकर भाई की शादी के बाद अपने मायके की हर बात में दखल देना बन्द कर देना चाहिए । भाभी को अपना घर अपनी मर्जी से सँवारने दीजिए , उन्हें अपने परिवार की देखभाल करने दीजिए । भाई से आपको कितना भी प्यार हो पत्नी का स्थान तो खास होगा ही । बेटियों के अत्यधिक दखल के कारण कई बार उनके भैया - भाभी का वैवाहिक जीवन भी तनाव पूर्ण हो जाता है ।यदि सचमुच आपको अपने भाई की परवाह है तो अब थोड़ा मायके का मोह कम कीजिए । मायके व ससुराल एक ही शहर में होने वाली लड़कियों को इस बारे में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ।
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डॉ. दीक्षा चौबे
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