रहती नित नई बहारें हैं ।
मन्द मन्द शीतल समीर ,
बरसती रिमझिम फुहारें हैं ।
यह मेरी सतरंगी दुनिया ,
प्रियतम तुझे पुकारे है ।
उमड़ता प्यार - दुलार ,
ढेर सारी मनुहारें हैं ।
मधुर मकरंद भाव - विचार ,
पावन दृग - जल के धारे हैं ।
यह मेरी सतरंगी दुनिया ,
प्रियतम तुझे पुकारे है ।
बहती काव्य सरिता यहाँ ,
कथा - किस्सों की कतारें हैं ।
अपना बनाने को आतुर ,
नैना प्रेम पन्थ निहारे हैं ।
यह मेरी सतरंगी दुनिया ,
प्रियतम तुझे पुकारे हैं ।
नैनों की राह से अतिथि ,
मन - मन्दिर में पधारे हैं ।
स्वागत में बिछ गई पलकें ,
अश्रुजल चरण पखारे हैं ।
यह मेरी सतरंगी दुनिया ,
प्रियतम तुझे पुकारे है ।
भाव विव्हल अवरुद्ध कण्ठ
बस तेरा ही नाम पुकारे हैं ।
साँस - साँस पर नाम लिखा ,
धड़कन से भी प्यारे हैं ।
इस प्रणय , बेला पर प्रिय ,
कई - कई जीवन वारे हैं ।
यह मेरी सतरंगी दुनिया ,
प्रियतम तुझे पुकारे है ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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