दया धर्म शुचि मानवता का ,
भाव हमें जो नित्य दिया ।
तुलसी , मीरा , संत कबीर ने ,
अनुपम वह साहित्य दिया ।
प्रबुद्ध , प्रगल्भ ,प्रभाकर ने ,
नव - जीवन का स्तुत्य किया ।
कर्मशीलता के भावों ने ,
जीवन को औचित्य दिया ।
साधु , सन्तों , उपासकों ने ,
रीति , नीति और सत्य दिया ।
भक्तिकाल के सरस भाव ने ,
प्रचंड प्रखर पांडित्य दिया ।
मर्यादा के आदर्श राम ने ,
तप से देह आवृत्त किया ।
त्याग ,समर्पण की आभा ने ,
प्रभास सा लालित्य दिया ।
भक्ति की पावनी गंगा ने ,
मानव को धर्म प्रवृत्त किया ।
सद्भावों की पुण्य सलिला ने ,
मानस को कृतकृत्य किया ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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