बेटे के विदेश चले जाने के बाद मनोरमा ने घर के ऊपरी हिस्से को किराये पर दे दिया था । वृद्धावस्था में घर की देखभाल के साथ कुछ आमदनी भी हो जाती थी । वे अपने - अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे , सामान्य बातचीत का व्यवहार बना रहा । ऊपरवाली सिलाई मशीन का उपयोग करती थी , यह जानकर मनोरमा कभी - कभार पुराने पेंट के कपड़े को काटकर उससे एक थैला सिलने के लिए उसे दे दिया करती थी और वह सिलाई कर वापस कर देती थी । उन्हें रहते चार - पाँच वर्ष हो गए थे पर मनोरमा ने कभी उनका किराया नहीं बढ़ाया था । इस बार कपड़ा देने गई तो उसकी किराएदार ने मशीन खराब होने की बात कहकर थैला सिलने से इंकार कर दिया था । अगले दिन मनोरमा को मशीन की खड़ - खड़ सुनाई दे गई थी ।
इस बार उसने घर का किराया बढ़ा दिया था , जहाँ छल हो वहाँ व्यवहार कैसा ?
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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