सजल
समांत - इत
पदांत - कर देना
मात्राभार - 26
हृदय धरा पर बीज स्नेह का रोपित कर देना
मनभावों को प्रेम खाद से पोषित कर देना
लुप्त हो रही है रिश्तों की जो पावन फसलें,
उनको भी सद्भाव बूंद से जीवित कर देना
सूने - सूने घर आँगन में सुरभित हो खुशियाँ,
बच्चों की किलकारी से फिर गुंजित कर देना।
अंबर सम अपने अंतस को विस्तारित रखना,
राग द्वेष छल लोभ कपट को लोपित कर देना।
देख निर्धनों की पीड़ा को मन यह रोता है,
न्याय दिलाकर इन लोगों को पुलकित कर देना।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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