Wednesday, 24 June 2020

सजल

सजल
समां त - आने
पदांत -  दो
मात्राभार - 16
********
कोयल को खुलकर गाने दो
मन की बगिया मुस्काने दो
*******
 अंकुर फूटेंगे  निश्चित ही
बीजों को  जरा भिगाने दो
*******
खोल दो घर की किवाड़ों को
सूरज को  भीतर आने दो
*******
कल तुझ पर ही बरसेंगे वे
 नेकी के बादल छाने दो
********
सीने की जलन बुझ जायेगी
आँखों को नीर बहाने दो ।
*********
काँटों से डरकर मत बैठो
फूलों को चुनकर लाने दो
**********
 महकेगा अपना घर - आँगन
फूल  खुशियों के खिलाने दो 
**********
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment