समां त - आने
पदांत - दो
मात्राभार - 16
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कोयल को खुलकर गाने दो
मन की बगिया मुस्काने दो
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अंकुर फूटेंगे निश्चित ही
बीजों को जरा भिगाने दो
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खोल दो घर की किवाड़ों को
सूरज को भीतर आने दो
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कल तुझ पर ही बरसेंगे वे
नेकी के बादल छाने दो
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सीने की जलन बुझ जायेगी
आँखों को नीर बहाने दो ।
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काँटों से डरकर मत बैठो
फूलों को चुनकर लाने दो
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महकेगा अपना घर - आँगन
फूल खुशियों के खिलाने दो
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़
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