Saturday, 13 June 2020

गीत 4

साँसों के मोती गुँथे आशा के तार में ,
तन - मन रंग गया स्नेह और प्यार में ।
मधुरिम भावों से पुलकित रोम - रोम _
जीवन यह बह गया प्रीत की धार में ।।
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जीवन सुमन  खिल जाते हैं खार में ,
जीत का सूत्र  मिला जीवन के सार में ।
मदमाते सौरभ से छलक उठा यौवन_
उमंगों की लहर उठीं जीवन के ज्वार में ।।
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भाव सारे बह गये अश्कों की धार में ,
मनमीत से मिलन  झील के उस पार में  ।
दिल में बसा ली छबि  प्यारे सजन की_
बाकी अब क्या रहा नश्वर संसार में ।।
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बदलाव न कर  रीतियों के आकार में ,
रिश्तों को दाँव पर न लगा अहंकार में ।
अधूरा नहीं  है सौंदर्य उपमान बिन_
आभूषित  वनिता लाज के अलंकार में ।।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़




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