Tuesday, 2 June 2020

सजल

सजल
समांत - अ अती
पदांत - है
मात्रा भार - 20
मात्रा पतन - **
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स्त्री है नदी ,वह अविरल बहती है
 संस्कृति को साथ लेकर चलती है
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 पालती और  दुलारती है  सबको
 सीने में उसके  ममता पलती  है
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 देख नहीं सकती किसी को दर्द में
 पीड़ा में भी वह हँसती  रहती है 
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त्याग तप धैर्य की मूरत है नारी
परिवार के लिए सब दुख सहती है
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अपने बच्चों में भेद नहीं  करती  
  अनहोनी होने से  वह डरती है
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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