आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Friday, 29 May 2020
मुक्तक
आँखों को खुशियों का छलकता शराब होने दीजिए ,
गालों को महकता हुआ सुर्ख गुलाब होने दीजिए ।
उम्र को सीमाओं की तंग गलियों में मत बाँधिये _
उन्मुक्त, स्वच्छंद जिंदगी को लाजवाब होने दीजिए ।
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