Friday, 29 May 2020

मुक्तक

आँखों को खुशियों का छलकता शराब होने दीजिए ,
गालों को महकता हुआ  सुर्ख गुलाब होने दीजिए ।
उम्र को सीमाओं की तंग गलियों में मत बाँधिये _
उन्मुक्त, स्वच्छंद  जिंदगी  को लाजवाब होने दीजिए ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे

दुर्ग ,छत्तीसगढ़

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